कुमाऊं पोस्ट न्यूज :
बाहरी प्रदेशों से उत्तराखंड आने वाले लोगों के लिए बार-बार बदलती गाइडलाइन परेशानी का सबब बन रही है। इस वजह से जहां बाहर से आने वाले लोग परेशान हैं तो वहीं यूपी-उत्तराखंड सीमा पर व्यवस्था बनाने वाले टीम को भी व्यवस्था बनाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
उत्तराखंड में बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए मुख्य सचिव ने कुछ दिन पहले यूपी-उत्तराखंड बॉर्डर पर सभी लोगों का कोरोना टेस्ट अनिवार्य करने का आदेश दिया था। इसमें तय किया गया था कि बाहर से आने वाले लोगों का कोरोना टेस्ट निजी लैब द्वारा किया जाएगा। बकायदा इसका शुल्क भी यहां आने वाले लोगों को ही चुकाना होगा।

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इस आदेश के बाद जिले बॉर्डर के साथ ही राज्यों के अन्य जिलों की सीमा पर विरोध की स्थिति बन गई।
ऐसे में मुख्यमंत्री को खुद स्थिति संभालने के लिए आना पड़ा। उन्होंने निर्देश दिया कि राज्य में शॉर्ट टर्म विजिट यानी तीन-चार दिन के लिए आने वाले लोगों को कोरोना टेस्ट अनिवार्य नहीं होगा। बल्कि उनकी स्क्रीनिंग की जाएगी। इसके बाद राज्य की सीमा पर स्थिति बदली।

बार्डर टीमों के लिए खासी मुश्किल
ऐसे में बार्डर में लगी टीमों के लिए यह तय करना बेहद मुश्किल हो गया कि कौन कम समय के लिए आ रहा है और कौन ज्यादा लंबे समय के लिए आ रहे है।
फिर एक नया आदेश हुआ जारी
इस बीच बीते शनिवार को नया संशोधित आदेश मुख्य सचिव की ओर से जारी हुआ। इसमें व्यवस्था सितंबर पहले सप्ताह की तरह लागू कर दी गई। प्रशासन का कहना है कि शासन की ओर से जिस तरह की गाइडलाइन हमें प्राप्त होगी, उसी हिसाब से बार्डर पर व्यवस्था बनाई जाएगी।
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बॉर्डर से हटाई जा रही निजी लैब
सीमा पर नियम जिस तरह बदले, उससे निजी लैब की व्यवस्था एक सप्ताह भी नहीं चल सकी। हाल ही में जारी हुए नए आदेश के बाद निजी लैब संचालकों ने बॉर्डर अस्थाई लैब हटा दी है। क्योंकि अब कोरोना टेस्ट कराने की अनिवार्यता खत्म हो गई है।

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