कुमाऊं पोस्‍ट न्‍यूज, चम्‍पावत : अपनों की महक और अच्छा करने की ललक व्यक्ति को खींच ही लाती है। सात समंदर पार साढ़े तीन लाख रुपये प्रतिमाह कमाने वाले मनमोहन को एक टीस लगी और वह नौकरी ठुकराकर अपने वतन लौट आए। गृह क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को सार्थक करते हुए अब वह क्षेत्र के युवाओं और लोगों के लिए नजीर बन चुके हैं।
लड़ीधूरा शैक्षिक एवं सांस्कृतिक मंच बाराकोट के अध्यक्ष नागेन्द्र कुमार जोशी ने बताया कि लोहाघाट के पाटन पाटनी के रहने वाले मनमोहन पाटनी पुत्र नवीन चंद्र पाटनी अमेरिका के वाशिंगटन डीसी शहर में एक नामचीन रेस्टोरेंट में सुपरवाइजर थे। उनका मासिक वेतन साढ़े तीन लाख रुपये था। वह ओमान और दुबई देश में भी कार्य कर चुके हैं। उनके मन में वहां कई बार विचार आया कि वह वहां सुख-सुविधाओं का उपभोग कर रहे हैं। जबकि उनके क्षेत्र के युवा नशे की गिरफ्त में आकर अवसाद की तरफ रहे हैं। उन्हें इसकी चिंता दिन-रात सताए जा रही थी।
इसके लिए उन्होंने मन में ठाना कि वह अपने गृह क्षेत्र लौटेंगे और युवाओं को नशे की खाई में जाने से रोकने के लिए कुछ करेंगे। 2018 में वह विदेश गए थे और सितंबर 2019 में वह यहां लौट आए। क्षेत्र के युवाओं की नशे की बढ़ती प्रवृत्ति से वह बेहद आहत थे। उन्होंने निर्णय लिया कि वह युवाओं को नशे की खाई में जाने से रोकेंगे और उनके स्वास्थ्य को लेकर ध्यान देंगे।
मनमोहन ने पाटन-पाटनी के प्रेमनगर में युवाओं के लिए बाहुबली फिटनेस सेंटर नाम से पुरुषों व महिलाओं के लिए व्यायामशाला स्थापित की। आधुनिक सुविधाओं से युक्त इस व्यायामशाला के जरिए उन्होंने युवाओं को जोड़ा और उन्हें उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रेरित किया। व्यायामशाला में कुशल प्रशिक्षक के दिशा-निर्देशन में क्षेत्र के युवा सुडौल शरीर बना रहे हैं।

आईपीएस बनना चाहते थे मनमोहन
मनमोहन पाटनी ने बताया कि उनका सपना इंडियन सिविल सर्विसेज की तैयारी कर आईपीएस आफिसर बनना चाहते थे। लेकिन किसी कारणवश वह यह लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए। जिसका उन्हें दुख है। कहा कि अब वह इस क्षेत्र के युवकों को ऑफिसर बनता हुआ देखना चाहते हैं, जिसके लिए वह युवकों का लगातार मार्गदर्शन कर रहे हैं। सच में मनमोहन के आत्मविश्वास को देखकर कहा जा सकता है कि वह अपने लक्ष्य में अवश्य सफल होंगे, तथा क्षेत्र के नवयुवकों के लिए प्रेरणास्रोत बनेंगे।

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