कुमाऊं पोस्ट न्यूज : प्रदेश के सियासी गलियारों में एक बार फिर सीएम बदलने की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। सरकार से असंतुष्ट चल रहे भाजपा विधायक के एक धड़े ने हल्द्वानी में बैठक करने के बाद दिल्ली कूच कर दिया है। बताया जा रहा है कि भाजपा के ही दो दर्जन से ज्यादा विधायक सीएम से नाराज चल रहे हैं। सरकार और सीएम से नाराज चल रहे विधायक विशन सिंह चुफाल के नेतृत्व में विधायकों ने दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाने की रणनीति बनाई है। जहां वह आलाकमान के सामने अपनी असंतुष्ट होनेे की वजहों और बातों को रखेंगे।
उत्तराखंड में भाजपा संगठन के भीतर चल रही गुटबाजी एक बार फिर खुलकर सामने आई है। सही मायनों में इसके कई कारण निकाले जा सकते हैं। विधानसभा की 70 सीटों में से 57 सीटों पर भाजपा संगठन के विधायक हैं। आंकड़ों के तौर पर सरकार के पास एकतरफा बहुमत हो, लेकिन अंदर ही अंदर खेल कुछ और ही है। सूत्रों के अनुसार सरकार बनने के कुछ महिनों के बाद से भाजपा के ही कई विधायक सीएम से नाराज बताए जा रहे हैं। इसकी कई वजहें हैं। चार-पांच बार से क्षेत्र के विधायक रहने के बावजूद उन्हें तवज्जो नहीं दी जा रही है।
बीते रोज मंगलवार को सरकार से नाराज चल रहे भाजपा विधायकों का एक खेमा हल्द्वानी में जुटा। बताया जा रहा है कि इसमें दो दर्जन से ज्यादा विधायक शामिल थे। उन्होंने आपसी बैठक करने के पश्चात गहन मंत्रणा की। उनका कहना है कि वह 2022 का विधानसभा चुनाव सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में लडऩे से असहज महसूस कर रहे हैं। इसके पीछे की वजह पिछले दिनों हुए भाजपा के एक सर्वे को बताया जा रहा है। सर्वे के अनुसार भाजपा अगर 2022 में चुनाव लड़ेगी तो वह महज 32 से 36 सीटों में सिमटकर रह जाएगी।
बताया जा रहा है कि इसमें अधिकांश विधायक सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से किसी ना किसी वजह से नाराज चल रहे हैं, अब वह दिल्ली चले गए हैं। वह दिल्ली में भाजपा आलाकमान के सामने अपनी समस्या को रखेंगे।
मुख्यत: इनमें तीन नाम खुलकर सामने आ रहे हैं – 1. विशन सिंह चुफाल – पिछली भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री, पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और डीडीहाट विधानसभा सीट से चार बार के लगातार विधायक विशन सिंह चुफाल सीएम से नाराज चल रहे हैं। उनकी नाराजगी की वजह है कि सरकार में कैबिनेट के तीन पद खाली हैं और सरकार विस्तार नहीं कर रही है। चुफाल कैबिनेट में एक पद चाहते हैं।
2. पूरन सिंह फर्त्याल – टनकपुर-जौलजीवी सडक़ निर्माण में भ्रष्टाचार को लेकर फर्त्याल ने आवाज मुखर की है। उनका कहना है कि सरकार एक भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की बात कहती है और सडक़ के मामले में कार्रवाई नहीं कर रही है। फत्र्याल ने आरोप लगाया है कि लोक निर्माण विभाग ने फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर एक ठेकेदार को सडक़ का टेंडर दिया है। उनका कहना है कि सत्ता पक्ष के साथ वह एक विधायक भी हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई उनकी जारी रहेगी।
3. राजेश शुक्ला – किच्छा विधायक राजेश शुक्ला अपनी सरकार में बेलगाम अफसरशाही की बात को लेकर नाराज हैं। उनका कहना है कि अफसर विधायकों तक की नहीं सुन रहे हैं। पिछले दिनों विधायक शुक्ला और आईएसएस अफसर नीरज खैरवाल की आपसी तकरार खुलकर सामने आई थी। शुक्ला का कहना है कि अफसर अपने मन की कर रहे हैं और उनकी सुनते ही नहीं
….. बताया जा रहा है कि संतुष्ट विधायकों को प्रदेश के ही एक सांसद की शह मिली हुई है और चर्चाओं का दौर है कि वह अगले सीएम बन सकते हैं। सांसद ने दिल्ली में डेरा जमाया हुआ है।
चर्चा यहां तक है कि मिशन 2022 के मद्देनजर भाजपा प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन कर सकती है। राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चाओं का दौर एक बार फिर शुरू हो गया है।
… अब देखना यह है कि असंतुष्ट विधायकों की बातों को भाजपा संगठन कितना अमल में लेता है, और अगर लेता है तो क्या 2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा का चेहरा बदल जाएगा या उससे पहले ही।