लोहाघाट : उत्तराखंड राज्य निर्माण के आंदोलन को लेकर खटीमा गोलीकांड में शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई। शहीद स्मारक मीना बाजार में श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी एडवोकेट नवीन मुरारी और राज्य आंदोलनकारी संगठन के जिला सचिव राजीव गणपति ने बताया कि राज्य निर्माण के संघर्ष में राज्य आंदोलनकारियों में पुलिस की शारीरिक एवं मानसिक प्रताडऩा से राज्य आंदोलन को मजबूती मिली। इस दौरान राज्य आंदोलनकारियों ने लाठियां दिल्ली जेरी गोलियां खाई और जेल काटी, लेकिन मिली मात्र उपेक्षा।
1 सितंबर 1994 को खटीमा में 7 लोगों ने जान देकर इसे राज्य आंदोलन को सफल बनाया। कहा कि इसी की बदौलत आज हम पृथक राज्य उत्तराखंड में रह रहे हैं। उन्होंने कहा की 1994 को उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर खटीमा की सडक़ों पर उतरे हजारों आंदोलनकारियों पर बरसी लाठियां को आज 26 वर्ष हो गए हैं, लेकिन जिस उद्देश्य से उत्तराखंड राज्य की स्थापना की गई थी, वह आज भी पूर्ण नहीं हो पाई है। राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि खटीमा में उमड़े जुलूस में शामिल लोगों को कोतवाली के पास पुलिस ने बेरहमी से पीटा था। बाद में हालात बिगडऩे पर नगर में 28 दिनों तक कफर््यू रहा और उसके बाद सरकार ने उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों पर लाठियां, डंडे एवं गोलियां चलाई। राज्य आंदोलन के दौरान 1 सितंबर 1994 को शहीद हुए खटीमा गोलीकांड के शहीदों को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी गई। श्रद्धांजलि सभा में एडवोकेट नवीन मुरारी, राजू गडक़ोटी, बृजेश मेहरा, भुवन जोशी, नवीन खर्कवाल, अर्जुन ढेक, विवेक ओली, तुलसी ओली और जोगिंदर सिंह आदि मौजूद रहे।

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