स्‍टाफ नर्स तनुजा मेहता और उनका ढाई साल का बेटा कार्तिक।

गौरव-पाण्डेय चम्पावत/टनकपुर : कोरोना बीमारी आने के बाद कई ऐसे उदाहरण और मिसाल देखने को मिल रही है कि कोरोना वारियर्स की अहम भूमिका निभाने वाले जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा अपने परिवार की सुरक्षा को देखते हुए उन्होंने स्वयं ही उनसे दूरी बनाई है। ताकि उनके परिवार को किसी भी तरह की कोई परेशानी या दिक्कत न आ सके।

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इसी उदाहरण को मिसाल के तौर पर पेश किया है टनकपुर के वार्ड नंबर 6 कर्मचारी कॉलोनी में रहने वाली स्टाफ नर्स तनुजा मेहता ने। वह पिछले छह माह से कोरोना वारियर्स की भूमिका में हैं। शुरूआत में लाकडाउन के बाद उन्होंने भारत-नेपाल बॉर्डर में ड्यूटी पर तैनात रहीं। वहां लगभग तीन महिने तक वहां से आने-जानेे वाले लोगों की स्क्रीनिंग का कार्य बखूबी किया। बाद में उनकी ड्यूटी सैंपलिंग के कार्य में लगी और वह चिकित्सा टीम के साथ क्षेत्र में कोरोना टेस्ट सैंपलिंग के कार्य में जुटी हुई हैं। उनके पति अनिल चौधरी पिंकी कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं। उनका बेटा कार्तिक चौधरी ढाई साल का है। उन्होंने बताया कि वह स्वयं कोरोना की रोकथाम में जुटी हुई हैं और वह नहीं चाहती थी उनकी वजह से उनके परिवार को कोई दिक्कत या परेशानी आए। तो उन्होंने अपने परिवार के संपर्क में न आने का फैसला लिया। लिहाजा, कोरोना संक्रमण के इस नाजुक दौर में बच्चे की उचित देखभाल न होने और संवेदनशील इलाके में रहने के कारण उन्होंने अपने ढाई साल के बेटे को उसकी नानी के घर खन्ना चौराहा वार्ड नंबर तीन टनकपुर में पहुंचा दिया। वहां नानी के द्वारा बच्चे की उचित देखभाल और बेहतर परवरिश की जा रही है।
नर्स तनुजा ने बताया कि जब तक उनकी ड्यूटी कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर लगी हुई है, वह अपने परिवार के संपर्क में आने से बचने की पूरी कोशिश करेंगी। उनका कहना था कि इस नाजुक दौर में उनकी जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है, क्योंकि वह एक चिकित्सा टीम का हिस्सा हैं। जिस कारण उन्होंने जिम्मेदारी को तरजीह देते हुए अपने बेटे के संपर्क में आने से बचने की कोशिश की और उसे उसकी नानी के घर भेजा।

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