गिरीश बिष्ट, कुमाऊं पोस्ट, चम्पावत। टनकपुर-जौलजीबी (टीजे) सड़क पर अपनी ही सरकार के खिलाफ विधायक पूरन पर फर्त्याल ने मोर्चा खोल दिया है। सरकार द्वारा फैसले के खिलाफ अब तक कोर्ट में अपील न होने से लोहाघाट से भाजपा विधायक पूरन सिंह फत्र्याल सरकार से नाराज हैं। उन्होंने इसके लिए राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति पर भी सवाल खड़ा कर दिया हैं।
कुमाऊं पोस्ट से विशेेष वार्ता करते हुए कहा कि सरकार जीरो टोलरेंस और भ्रष्टाचार पर काम करने की बात करती है, लेकिन टीजे रोड पर दिए सरकार के फैसले से आम जनता के बीच सरकार की छवि खराब हो रही है। उन्होंने कहा कि वह विधानसभा में सरकार के खिलाफ नियम 58 के तहत प्रश्न लगाएंगे और वह अपने सिद्धांतों के साथ बिल्कुल भी समझौता नहीं करेंगे।
पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि भले ही ऑर्बिट्रेशन ने टनकपुर-जौलजीबी सड़क के मामले में ठेकेदार के पक्ष में निर्णय दिया हो, लेकिन ऑर्बिट्रेशन नेे लोनिवि को कोर्ट में अपील करने को तीन माह का समय भी दिया था, जो आगामी तीन सितंबर को खत्म हो जाएगा। लेकिन सरकार द्वारा अब तक कोर्ट में अपील करने की कोई तैयारी नहीं की गई है।
फर्त्याल का आरोप है कि लोनिवि जानबूझकर मामले में अपील में देरी कर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने की साजिश रची थी। लोनिवि सचिव सीएम के आदेश दरकिनार कर रहे हैं, जो खुद में सवाल खड़े करता है। भ्रष्टाचार के नाम पर केवल इंजीनियरों को बलि का बकरा बनाने से काम चलने वाला नहीं। उन्होंने कहा कि अफसर प्रदेश सरकार की नीतियों पर पलीता लगा रहे हैं, जिसे किसी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि तीन बार टेंडर लगाने के बाद क्यों रद्द किए गए सरकार 11 महीने तक सो ही रही थी क्या। उन्होंने कहा कि उन्हें सरकार में शिकायत की थी कि लोनिवि द्वारा टेंडर नहीं लगाए जा रहे हैं । लेकिन सरकार ने अधिकारियों को तो पनिशमेंट दे दी लेकिन ठेकेदार को इनाम दे दिया । उसको पुनः बहाल करने के आदेश दे दिए यह बड़ा खेद का विषय है कि हमारी सरकार जो भ्रष्टाचार मिटाने की की बात करती है वह ही इस तरह का निर्णय देती है। इससे जनता गलत मैसेज जा रहा है । उन्होंने कहा कि यह मामला व उठाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि मैंने ठेकेदार के खिलाफ प्रमाणित पत्र दिए हैं उन्होंने कहा कि सड़क सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है मैं भी चाहता हूं कि सड़क बने लेकिन तीन बार टेंडर निरस्त क्यों किए गए। उन्होंने कहा कि टेंडर खुले नहीं अगर यह खुलते तो बहुत ही कम दरों में में अन्य ठेकेदारों ने डाले थे।
सरकार की भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की बात मेरे गले से नहीं उतर रही जीरो टॉलरेंस की बात पर सरकार ने कार्रवाई की थी, उसको आज नजरअंदाज किया जा रहा है और आने वाले विधानसभा सत्र में इस मामले को संगठन और राजनीति से ऊपर उठकर यह मामला उठाएंगे। दूसरे पैकेज से पहले बनाए जा रहे पुल पर भी उन्होंने सवाल उठायाा। उन्होंने कहा कि सड़क तो बाद में भी बन सकती है लेकिन बिना पुल बने सड़क का कोई भविष्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि जब न्यायालय से सरकार को टेंडर लगाने की अनुमति मिल गई थी तो तीन बार टेंडर लगाने के बाद क्यों रद्द किए गए। आरोप लगाया कि सरकार 11 महीने तक सो ही रही थी। कहा कि उन्होनें सरकार में इसकी शिकायत भी की थी। लेक़िन लोनिवि द्वारा टेंडर नहीं खोले गए। लेकिन सरकार ने अधिकारियों को तो सजा तोो दे दी, लेकिन ठेकेदार को इनाम दे दिया । ठेकेदार को पुनः बहाल करने के आदेश दे दिए, यह बड़ा खेद का विषय है। उन्होंने कहा कि जब सरकार द्वारा करायी गई, उच्चस्तरीय जांच में जब ठेकेदार दोषी पाया गया था तो सरकार कोर्ट में अपील क्यों नहीं कर रही।
उन्होनें कहा सरकार के इस निर्णय से जनता में सरकार की नीतियों को लेकर एक गलत संदेश जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह मामला व आगे भी उठाते रहेंगे, जब तक दोषियों को सजा नहीं मिल जाती।
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