प्रदेश के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे रमेश चैहान, जिन्होंने उत्तराखंड के खिलाड़ियों के लिए एक नया आयाम विकसित किया है। उत्तराखंड के खटीमा शहर में जहां पर एक वर्ष पूर्व बच्चों के लिए खेलने हेतु कोई भी सुविधा और स्थान नहीं था, वहां अब एक स्टेडियम तैयार हो चुका है। सेवानिवृत्ति के बाद रमेश चैहान जब अपने नगर खटीमा में आये तो उन्होंने देखा कि खटीमा में दूर-दूर तक कोई भी स्टेडियम नहीं है, जहां पर बच्चे अभ्यास कर सकें। एक खिलाड़ी होने के नाते उनसे ये दर्द सहा नहीं गया। उन्होंने निश्चय किया कि मैं खटीमा में खेलों के लिए कुछ करूंगा। लगभग एक वर्ष के उपरान्त उन्होंने स्वयं ही एक मिनी स्टेडियम तैयार कर दिया। जिसमें योग, जिम, स्विमिंग पूल, क्रिकेट, फुटबाॅल, कराटे, बाॅक्सिंग जैसे तमाम लोकप्रिय खेलों को सम्मिलित किया गया है। इस स्टेडियम की लंबाई 100 मीटर एवं चैड़ाई 75
मीटर है।
देखा जाए तो आज का युग कम्प्यूटर के लिए जाना जाता हैं, और ऐसे में खेलों के प्रति लगाव बहुत कम देखने को मिलता है। यदि ऐसे में कोई व्यक्ति अपने क्षेत्र में खेलों के लिए कुछ करता है तो समाज के लिए गर्व की बात तो है ही जो इस बात की ओर भी संकेत देता है कि क्षेत्र के युवा गलत कार्यों की बजाय खेलों की दिशा में अपना ध्यान लगा रहे हैं।
वहीं राज्य बनने के 17 वर्ष बाद भी नगर में कोई खेल का स्थान या संसाधनों का न होना सरकारों की उदासीनता का एक जीता जागता उदाहरण है। किन्तु रमेश जैसे सामाजिक और जागरूक व्यक्तियों के चलते क्षेत्र में अब ऐसा कुछ महसूस ही नहीं होता है।
खेल और खिलाड़ियों की दुनिया अपने आप में बड़ा ही महत्वपूर्ण और दिलचस्प विषय रहा है। खेल ऐसा विषय है जिसमें हमेशा कीर्तिमान बनते रहते हैं, और टूटते भी रहते हैं। इसमें प्रतिद्वंद्वी भी होते हैं, लेकिन बैर की कोई भावना नहीं होती है। खेल के प्रति समर्पण, खिलाड़ियों का सम्मान और उनके कीर्तिमान खेल प्रेमियों को खेलों की ओर आकर्षित करते हैं। निश्चित रूप से रमेश चैहान ने विषम परिस्थितियों में भी अपने खिलाड़ी और खेलप्रेमी होने का परिचय दिया है। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि खेलों और खिलाड़ियों के प्रति उनका लगाव व त्याग लोगों के सामने नई मिसाल पैदा करेगा।
-विमल पुनेड़ा